Jul 10, 2016

श्रेय किसको

बात कुछ पुरानी सी है। मै था कूडाघाट गोरखपुर मे। भांजे की शादी थी। अरे वही जहां के बगल वाले एम एम एम से मैंने इंजीनियरिंग किया था। हम सब एक साथ थे। किसी ने पूछ लिया, " कैसे किया आपने यह सब? कैसे आपका बेटा 'आई आई टी' के 'बी टेक' मे आ गया?"
मै सोचा। डिफ़ेरेन्शियल वाला था, जो मैंने पढ़ाया था एक बार। नही नही । इंटीग्रेशन वाला होगा। नहीं यार वो होगा जो रिलेटिव ट्रेन मोशन का था।"
तब तक बोल दिया मेरी सबसे बड़ी बहन ने," ये तो सुमन (मेरी पत्नी) का योगदान है। मेरा भाई तो केवल देश विदेश घूमता रहता था। उसके पास कहाँ टाइम था।"
बहुत गुस्सा आया। मेरी बहन और फिर भी मेरा विरोध?।
दिन बीत गए। साल बीत गए।
नेपाल मे देखा। मेरी काम वाली। खाना बनाने वाली। रोज मार्निंग वाक पे देखता था, उसका बेटा आवारा बना घूमता रहता था। बोलना भी नही आता था सलीके से।
आज देखा उसे अपने घर। वो अपने बेटे के साथ आई थी सीधे स्कूल से। बैग लेकर, स्कूल वाला। कौतूहलवश पूछ लिया टूटी फूटी नेपाली मे ," के छ कांछा? कति आउंछ ? पढ़न लिखन सक्छ? "
वो मुस्कराया। थोड़ा अटपटा लगा। क्यो मुस्कराया? पहले तो केवल आवारा की तरह घूमता था, कितना भी पूछो, कुछ भी न बोले।
मैंने फिर कहा,"भन्नुस, के पढ़ी रहे को छ?"
उसने सारी किताबे खोल दी। पूरा बैग पलट दिया।
मै पढ़ाना शुरू किया। हिन्दी मे। नेपाली और हिन्दी के स्वर और व्यंजन एक ही है। वो पढ़ता गया।
फिर अङ्ग्रेज़ी मे पढ़ाया A B C D.... वो भी पढ़ गया।
बड़ा आश्चर्य हुआ। ये तो इन्टरेस्ट ले रहा है।
मै और पढ़ाया। वो और पढ़ा। लिखवाया, लिखा भी। बीच बीच मे मै बोल रहा था , "शाबाश, तुम पढ़ लोगे"। वाकई उसका इन्टरेस्ट था पढ़ने मे। मगर मैंने एक दिन पढ़ा दिया। रोज कौन पढ़ाएगा? बड़ी इच्छा है, मै उसे रोज पढ़ाऊ।
सबसे बड़ी बात। वो काम वाली, जो रोज काम छोड़ के भागती थी। कैसे भी कच्चा पक्का बना के। आज वो हिल नही रही थी। आज वो खड़ी थी निर्बाध मूर्तिवत अपने आंखो के कोरो को उँगलियो से मल रही थी। शायद आसुओ को बाहर आने से पहले ही सुखा रही थी।।
बेचारी माँ। वो बेचारी थी, क्योंकि वो पढ़ी लिखी नही थी। मजबूर थी। उसने ट्यूशन लगाया था, छ हजार महीना। जबकि उसका वेतन मेरे यहाँ से था आठ हजार का मात्र। फिर भी उसका बच्चा फेल हो गया था क्लास-1 मे ही।
आज मुझे अहसास हुआ, मेरी बहने ठीक थी। मेरे बच्चो के पढ़ने मे मेरी पत्नी का ही योगदान था। फाउंडेशन बहुत जरूरी है। वरना इमारत कभी भी नही होगी बुलंद। प्राइमरी एजुकेशन। बच्चे का प्रथम विद्यालय उसका अपना घर ही है, और प्रथम शिक्षक उसकी माँ। कोई ट्यूटर ये काम नही कर सकता।
Hats off to all educated wives !!
One girl educated means, the entire upcoming generation gets educated.