Nov 23, 2022

संस्कारों में छिपा विज्ञान

जन्मकाल शैशव बचपन से, यही हम सुनते आये
धर्म पूजा सब हैं ढकोसले, इनके पास कभी न जाये
गँवार अनपढ़ अंधविश्वासी, इन सबको बहुत सुहाये
तर्क और विज्ञान विहीन यह, कोई तो इन्हें बताये

बालीवुड भी है सघन विरोधी, नहीं मानता वेद पुरान
बाबा स्वामी बस फिरकी लेते, कहता है आमिर खान
तनिक अपने गिरेबान में झाँको, यही गोला मा है तालिबान
मासूमों का कत्ल करे, जग को बना दिया शमशान   
खाला के घर बेटी ब्याहे, चार निकाह करे साहिबान

सौ बातों की एक कहूँ मैं, सुन लो साधो कान लगाय
विज्ञान सनातन में भरा पड़ा, क्या देता नहीं दिखाय
ग्रह नक्षत्र अमावस ग्रहण, पण्डित पञ्चाङ्ग सब दियो बताय
सटीक गणना युगों पुराना, जब पाषाणकाल मा अंग्रेज रहा विचराय

दक्षिण पैर कभी न सोवो, कहती रटती मेरी माता
नहीं मानता, यदि विज्ञान का शिक्षक पाठ नहीं पढ़ाता
पृथ्वी चुंबक के नॉर्थ पोल से, मैग्नेटिक फोर्स है आता (भारत उत्तरी गोलार्ध में है)
रक्तखनिज मस्तिष्क में रुककर, ब्रेन हैमरेज कर जाता

तुलसी पीपल के तले पूजा से, मिले आक्सीजन भरपूर
सूर्य नमस्कार के विटामिन डी से, बने हड्डियाँ मजबूत

पाचन तंत्र को दुरुस्त कर जाता, हमारा धार्मिक उपवास
कैंसर कोशिकाओं का शमन करे, कहे वैज्ञानिक बिंदास

घंटा शंखध्वनि तरंगों का रेजोनेन्स, नष्ट करे कीटाणु
फेफडों को शक्ति देता, निकट न आए करोना विषाणु

दो वर्षों का लाकड़ाऊन, विश्व को पढ़ा गया यह पाठ
नमस्ते अभिवादन अपनाकर ही, जीवन जियेगा ठाठ

हथेलियों के मध्य हैं स्थित, अक्यूप्रेशर के अगणित बिन्दू
नमस्ते करो और रोग भगाओ, कहता है हमारा धर्म हिन्दू

सीलन फंगस कीटाणुओं से, यदि बचाना है अपना भवन
धूप घी कपूर की धूनी भर दो, करते रहो नियमित हवन

ॐ का अलौकिक उच्चारण, जगा दे अंतरचेतन खासा
अंतरिक्ष में चलता यही सिग्नल, माने अमरीका का नासा

आदर सम्मान आशीर्वाद मिले, कमर लचीला होय
बड़े बुजुर्गों का पैर छूकर, यदि दंडवत करे हर कोय

स्नान ध्यान कर भोजन खाओ, रोग भगाओ भ्राता
वरना पाचन तंत्र माँगे रक्त, पर वो त्वचा को जाता

रात्रिभोजन बाद मस्तिष्क को रक्त मिले न, वह पाचन में जाय
जल्द सोवो दो आराम भेजे को, निशाकाल में नींद भी अच्छी आय
दिमाग शरीर स्फूर्तिवान बने, यदि विद्यालय जाता सुबह नहाय
कठिन विषय ही पहले पढ़ाते, रक्तसंचरित मन रहा चकचकाय

नीचे बैठ जमीन पर, यदि हो खाना पैखाना
तो बुढ़ापे में काहे को, घुटने का दर्द बौराना

माया की भागदौड़ से थमकर, हो जाओ संस्कारों में सरेंडर
आस्था विज्ञान का अनोखा संगम, कहता है कवि धरमेन्दर

Oct 18, 2022

मित्र

बड़े दुखी थे लोग
निष्ठुर जीवन के झंझावातों से
रिश्तेदार के तानों से
कार्यालय में बॉस की डाँटों से
बढ़ती महँगाई के ग्राफों से
पत्नी की फिजूल खरीदारों से
परीक्षा में कठिन सवालों से
पड़ोसी के व्यंगबाणों से
बच्चों की अवज्ञाओं से
क्रिकेट में पारी की हारों से
प्रियतमा की बेरुखी अदाओं से
बहुत दुखी थे

सब लोग मिल बैठ मशवरा करने लगे
ज्ञानी पंडितों की छाँव में उपाय खोजने लगे
सुबह शाम ईश्वर उपासना ध्यान में रमने लगे
कैलाश पर्वत की तरफ वो सभी चलने लगे
रुकते नहीं पाँव में छाले भले पड़ने लगे
मानसरोवर जा पहुँच फिर सभी थमने लगे

त्राहिमाम करते सभी हे शंभू अब लियो बचाय
दारुण दुख से उबरने का कुछ तो करो उपाय
यज्ञ पूजा क्या करें हमको दियो बताय
खर्च की परवाह नहीं बस रास्ता दो दिखलाय
कर्णप्रिय वाणी शंकर की सबको पड़ी सुनाय
बतलाता हूँ अचूक नुस्खा सुन लो ध्यान लगाय

सौ रोगों की एक दवा जो स्वयं तुम्हारे भित्र
दुख दारुण हर लेता जीवन महकाता जैसे इत्र
अगल बगल ही रचे बसे हैं उसके कितने चित्र
जीवन पथ में ढूंढ ले बंदे जिसे लोग कहते हैं मित्र

तनाव तुम्हारा हर लेता यह, अवसादों से करता दूर
विपत्ति काल में खड़ा मिलेगा, जैसे कोई सैनिक शूर
नहीं है कोई रिश्ता इससे, फिर भी सौ रिश्तों से पूर
बाँट लेता यह गम के आँसू, बिखराता है खुशी का नूर
टॉप गियर में गाड़ी दौड़ा देगा, हो चाहे चार पैग में चूर
तुरंत एक आवाज पे चल दे, छोड़ के जन्नत वाली हूर

बाँट सको जीवन के सारे गुप्त रहस्य,
दिखता नहीं है जग में, ऐसा कोई नाता
दादा नाना चाचा ताऊ, बुवा पिता या माता
जीजा साली भाभी पत्नी, या भगिनी और भ्राता
दिल पर रखा भारी बोझ यह, तभी हल्का हो पाता
भरोसेमंद मित्र संग बैठ जब, सारा हाल कह जाता

विदेशी चकाचौंध क्या, तोड़ भागूँ इंद्रलोक के ताले
मिल जाय बिछड़े यार संग, यदि जाम के चंद प्याले
जीवन यह पूर्ण कर डीके, जब भी ऊपर जायेगा
ऐसी gsw मित्र मंडली, वहाँ भी प्रभु से माँगेगा