बड़े दुखी थे लोग
निष्ठुर जीवन के झंझावातों से
रिश्तेदार के तानों से
कार्यालय में बॉस की डाँटों से
बढ़ती महँगाई के ग्राफों से
पत्नी की फिजूल खरीदारों से
परीक्षा में कठिन सवालों से
पड़ोसी के व्यंगबाणों से
बच्चों की अवज्ञाओं से
क्रिकेट में पारी की हारों से
प्रियतमा की बेरुखी अदाओं से
बहुत दुखी थे
सब लोग मिल बैठ मशवरा करने लगे
ज्ञानी पंडितों की छाँव में उपाय खोजने लगे
सुबह शाम ईश्वर उपासना ध्यान में रमने लगे
कैलाश पर्वत की तरफ वो सभी चलने लगे
रुकते नहीं पाँव में छाले भले पड़ने लगे
मानसरोवर जा पहुँच फिर सभी थमने लगे
त्राहिमाम करते सभी हे शंभू अब लियो बचाय
दारुण दुख से उबरने का कुछ तो करो उपाय
यज्ञ पूजा क्या करें हमको दियो बताय
खर्च की परवाह नहीं बस रास्ता दो दिखलाय
कर्णप्रिय वाणी शंकर की सबको पड़ी सुनाय
बतलाता हूँ अचूक नुस्खा सुन लो ध्यान लगाय
सौ रोगों की एक दवा जो स्वयं तुम्हारे भित्र
दुख दारुण हर लेता जीवन महकाता जैसे इत्र
अगल बगल ही रचे बसे हैं उसके कितने चित्र
जीवन पथ में ढूंढ ले बंदे जिसे लोग कहते हैं मित्र
तनाव तुम्हारा हर लेता यह, अवसादों से करता दूर
विपत्ति काल में खड़ा मिलेगा, जैसे कोई सैनिक शूर
नहीं है कोई रिश्ता इससे, फिर भी सौ रिश्तों से पूर
बाँट लेता यह गम के आँसू, बिखराता है खुशी का नूर
टॉप गियर में गाड़ी दौड़ा देगा, हो चाहे चार पैग में चूर
तुरंत एक आवाज पे चल दे, छोड़ के जन्नत वाली हूर
बाँट सको जीवन के सारे गुप्त रहस्य,
दिखता नहीं है जग में, ऐसा कोई नाता
दादा नाना चाचा ताऊ, बुवा पिता या माता
जीजा साली भाभी पत्नी, या भगिनी और भ्राता
दिल पर रखा भारी बोझ यह, तभी हल्का हो पाता
भरोसेमंद मित्र संग बैठ जब, सारा हाल कह जाता
विदेशी चकाचौंध क्या, तोड़ भागूँ इंद्रलोक के ताले
मिल जाय बिछड़े यार संग, यदि जाम के चंद प्याले
जीवन यह पूर्ण कर डीके, जब भी ऊपर जायेगा
ऐसी gsw मित्र मंडली, वहाँ भी प्रभु से माँगेगा
Oct 18, 2022
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