धर्म पूजा सब हैं ढकोसले, इनके पास कभी न जाये
गँवार अनपढ़ अंधविश्वासी, इन सबको बहुत सुहाये
तर्क और विज्ञान विहीन यह, कोई तो इन्हें बताये
बालीवुड भी है सघन विरोधी, नहीं मानता वेद पुरान
बाबा स्वामी बस फिरकी लेते, कहता है आमिर खान
तनिक अपने गिरेबान में झाँको, यही गोला मा है तालिबान
मासूमों का कत्ल करे, जग को बना दिया शमशान
खाला के घर बेटी ब्याहे, चार निकाह करे साहिबान
सौ बातों की एक कहूँ मैं, सुन लो साधो कान लगाय
विज्ञान सनातन में भरा पड़ा, क्या देता नहीं दिखाय
ग्रह नक्षत्र अमावस ग्रहण, पण्डित पञ्चाङ्ग सब दियो बताय
सटीक गणना युगों पुराना, जब पाषाणकाल मा अंग्रेज रहा विचराय
दक्षिण पैर कभी न सोवो, कहती रटती मेरी माता
नहीं मानता, यदि विज्ञान का शिक्षक पाठ नहीं पढ़ाता
पृथ्वी चुंबक के नॉर्थ पोल से, मैग्नेटिक फोर्स है आता (भारत उत्तरी गोलार्ध में है)
रक्तखनिज मस्तिष्क में रुककर, ब्रेन हैमरेज कर जाता
तुलसी पीपल के तले पूजा से, मिले आक्सीजन भरपूर
सूर्य नमस्कार के विटामिन डी से, बने हड्डियाँ मजबूत
पाचन तंत्र को दुरुस्त कर जाता, हमारा धार्मिक उपवास
कैंसर कोशिकाओं का शमन करे, कहे वैज्ञानिक बिंदास
घंटा शंखध्वनि तरंगों का रेजोनेन्स, नष्ट करे कीटाणु
फेफडों को शक्ति देता, निकट न आए करोना विषाणु
दो वर्षों का लाकड़ाऊन, विश्व को पढ़ा गया यह पाठ
नमस्ते अभिवादन अपनाकर ही, जीवन जियेगा ठाठ
हथेलियों के मध्य हैं स्थित, अक्यूप्रेशर के अगणित बिन्दू
नमस्ते करो और रोग भगाओ, कहता है हमारा धर्म हिन्दू
सीलन फंगस कीटाणुओं से, यदि बचाना है अपना भवन
धूप घी कपूर की धूनी भर दो, करते रहो नियमित हवन
ॐ का अलौकिक उच्चारण, जगा दे अंतरचेतन खासा
अंतरिक्ष में चलता यही सिग्नल, माने अमरीका का नासा
आदर सम्मान आशीर्वाद मिले, कमर लचीला होय
बड़े बुजुर्गों का पैर छूकर, यदि दंडवत करे हर कोय
स्नान ध्यान कर भोजन खाओ, रोग भगाओ भ्राता
वरना पाचन तंत्र माँगे रक्त, पर वो त्वचा को जाता
रात्रिभोजन बाद मस्तिष्क को रक्त मिले न, वह पाचन में जाय
जल्द सोवो दो आराम भेजे को, निशाकाल में नींद भी अच्छी आय
दिमाग शरीर स्फूर्तिवान बने, यदि विद्यालय जाता सुबह नहाय
कठिन विषय ही पहले पढ़ाते, रक्तसंचरित मन रहा चकचकाय
नीचे बैठ जमीन पर, यदि हो खाना पैखाना
तो बुढ़ापे में काहे को, घुटने का दर्द बौराना
माया की भागदौड़ से थमकर, हो जाओ संस्कारों में सरेंडर
आस्था विज्ञान का अनोखा संगम, कहता है कवि धरमेन्दर
खाला के घर बेटी ब्याहे, चार निकाह करे साहिबान
सौ बातों की एक कहूँ मैं, सुन लो साधो कान लगाय
विज्ञान सनातन में भरा पड़ा, क्या देता नहीं दिखाय
ग्रह नक्षत्र अमावस ग्रहण, पण्डित पञ्चाङ्ग सब दियो बताय
सटीक गणना युगों पुराना, जब पाषाणकाल मा अंग्रेज रहा विचराय
दक्षिण पैर कभी न सोवो, कहती रटती मेरी माता
नहीं मानता, यदि विज्ञान का शिक्षक पाठ नहीं पढ़ाता
पृथ्वी चुंबक के नॉर्थ पोल से, मैग्नेटिक फोर्स है आता (भारत उत्तरी गोलार्ध में है)
रक्तखनिज मस्तिष्क में रुककर, ब्रेन हैमरेज कर जाता
तुलसी पीपल के तले पूजा से, मिले आक्सीजन भरपूर
सूर्य नमस्कार के विटामिन डी से, बने हड्डियाँ मजबूत
पाचन तंत्र को दुरुस्त कर जाता, हमारा धार्मिक उपवास
कैंसर कोशिकाओं का शमन करे, कहे वैज्ञानिक बिंदास
घंटा शंखध्वनि तरंगों का रेजोनेन्स, नष्ट करे कीटाणु
फेफडों को शक्ति देता, निकट न आए करोना विषाणु
दो वर्षों का लाकड़ाऊन, विश्व को पढ़ा गया यह पाठ
नमस्ते अभिवादन अपनाकर ही, जीवन जियेगा ठाठ
हथेलियों के मध्य हैं स्थित, अक्यूप्रेशर के अगणित बिन्दू
नमस्ते करो और रोग भगाओ, कहता है हमारा धर्म हिन्दू
सीलन फंगस कीटाणुओं से, यदि बचाना है अपना भवन
धूप घी कपूर की धूनी भर दो, करते रहो नियमित हवन
ॐ का अलौकिक उच्चारण, जगा दे अंतरचेतन खासा
अंतरिक्ष में चलता यही सिग्नल, माने अमरीका का नासा
आदर सम्मान आशीर्वाद मिले, कमर लचीला होय
बड़े बुजुर्गों का पैर छूकर, यदि दंडवत करे हर कोय
स्नान ध्यान कर भोजन खाओ, रोग भगाओ भ्राता
वरना पाचन तंत्र माँगे रक्त, पर वो त्वचा को जाता
रात्रिभोजन बाद मस्तिष्क को रक्त मिले न, वह पाचन में जाय
जल्द सोवो दो आराम भेजे को, निशाकाल में नींद भी अच्छी आय
दिमाग शरीर स्फूर्तिवान बने, यदि विद्यालय जाता सुबह नहाय
कठिन विषय ही पहले पढ़ाते, रक्तसंचरित मन रहा चकचकाय
नीचे बैठ जमीन पर, यदि हो खाना पैखाना
तो बुढ़ापे में काहे को, घुटने का दर्द बौराना
माया की भागदौड़ से थमकर, हो जाओ संस्कारों में सरेंडर
आस्था विज्ञान का अनोखा संगम, कहता है कवि धरमेन्दर