नहीं बना इस जग में ऐसा, कोई योगी सन्यासी नगीना
जिसके दिलों को न घायल कर दे, चंचल शोख हसीना
जिसके दिलों को न घायल कर दे, चंचल शोख हसीना
पहचाने न उम्र की सीमा, न कमजोर बलवान
चाहे छोटा बच्चा हो, या पचत्तर वर्षीय जवान
कोई उसकी खनकती हँसी का दीवाना
तो किसी को मादक मुस्कुराहट ने मारा
तो कितनों को मार गई, उसकी तिरछी नजर
कहीं फूलों पे मंडराये, भँवरा जारो जार
तो किसी को है, खिलती कली का इंतजार
काले घने केशों में, कितने ही उलझ गये
तो कितने सुर्ख होंठों की, ताप में पिघल गये
जुल्फों में बर्बाद हुये, कितने फरहाद मजनू नादान
जो आजाद हुये बुद्ध तुलसी मोदी, तो कहलाये महान
हसीनों के इस लड्डू का, हर कोई दिखता लोभी
न खाए तो पछताये, और खा लिया तो और भी
कह डीके कविराय, जो परमात्मा को पा जाते
ऐसे ज्ञानी महात्मा भी, हसीनों को समझ न पाते