May 27, 2023

वो बचपन


 
होश आया तो अम्मा के आँचल का नहीं किनारा था
परिवार-बोझ में व्यस्त पिता को भी कहाँ निहारा था
मातृ-छाया विहीन, समाज की ज्वाला तले संघर्षरत
जीवन पथ पर दो मासूम बहनों का मिला सहारा था
 
एक हाथ में पुस्तक, दूजे से सुलगाती गीली लकड़ियाँ
चूल्हा फूंकते राखरंजित नेत्र, रण-बाँकुरी दो लड़कियाँ
चाय नाश्ता सबको देकर, मध्यान्ह पकवान तैयार किया
विद्यालय से आकर रात्रिभोजन, क्या क्या बतलायें मियाँ
 
छोटे नगर के कन्या विद्यालय में न थी लेबोरेट्री की थाती   
वरना गणित विज्ञान पढ़ वो डाक्टर इंजीनियर बन जाती
सामाजिक बंधनों की तीव्र ज्वाला में जलने वाली वो बाती 
अग्निशिखरों पे आरूढ़ हो कुंदन सी और निखरती जाती 
 
हम तीनों अक्सर लड़ते थे, बात बात पर झगड़ते थे
दूसरे ही पल फिर भूल बिसर के, एक दूजे पे मरते थे
आज एक के पीछे दो माँ-बाप, चम्मच लिए फिरते हैं,
कह डीके कविराय, भला कैसे हम वो जीवन जीते थे

May 15, 2023

कलयुगी असुर

 
क्षीर सागर में नाग-शैया पे लेटे हुये नारायण की कमर में अकड़न हो चली थी। लक्ष्मी जी ने बहुतेरे प्रयास किये पैर दबा दबा के,  कथा सुना सुना के, किन्तु बोरियत दूर न हो पा रही थी।
 
अंततः लक्ष्मी जी ने कहा, “प्रभु आप नारद मुनि का आह्वान कीजिये। उनके चटपटे मसालेदार वर्णन ही आपका जायका सही करेंगे।
 
विष्णु जी ने नारद मुनि का आकस्मिक आह्वान किया। वो क्षण भर में प्रकट हो गए।
 
नारायण नारायण। प्रणाम स्वीकार हो प्रभु”।
 
कहिये नारद मुनि, मृत्युलोक के क्या समाचार हैं?”
 
समाचार अच्छे नहीं हैं प्रभु”।
क्यों क्या हुआ?”
 
बड़ी विकट स्थिति हो गई है। सब कुछ उलट पलट हो गया। शीतकाल में गर्मी का प्रकोप हो गया है। ग्रीष्म ऋतु में लू का प्रवाह बंद हो गया। चैत्र मास के पश्चात सीधे सावन भादों की झड़ी लगी हुई है। किसानों की फसल पकने से पहले ही सड़ जा रही”।
 
ऐसा क्यों हो रहा? इंद्रदेव ने हमारे बनाये नियमों का उल्लंघन क्यों किया?”
 
अब ये तो वही जाने प्रभुवर। आपकी पकड़ ढीली हो रही है प्रशासन पर। देवगण अपने मन के मालिक होते जा रहे”, नारद मुनि ने अपने गुणों के अनुरूप आग में घी डाला।
 
नारायण दहाड़े, “गरुड, तुम शीघ्र जाओ और देवराज इन्द्र को प्रस्तुत करो”।
 
जो आज्ञा नाथ”, कहकर गरुड वायुवेग से प्रस्थान कर चले। कुछ ही क्षणों में इन्द्र को अपने साथ बिठा लाए। इन्द्र का वाहन हाथी भी गरुड के पंजे में दबा था। यदि इन्द्र अपने वाहन पे आते तो कई दिन लग जाते।
 
उन्हें देखते ही नारायण उबल पड़े, “देवराज, मेरे द्वारा स्थापित नियमों का उल्लंघन क्यों हो रहा है? वैशाख व जेठ मास में वर्षा क्यों हो रही है?”
 
क्षमा प्रभु, किन्तु इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। आर्यावर्त के लिये बना सॉफ्टवेयर ‘मौसम’ करप्ट हो गया है। उसकी सुरक्षा में तैनात अग्निकवच (फायर वाल) को दानवों ने विषाणुआस्त्र से भेद दिया है। इसलिए गर्मी में वर्षा और शीत ऋतु में ताप-वृद्धि हो जाती है”।
 
अग्नि-कवच किस देव की उपासना से प्राप्त किया था इन्द्र?”
 
इसे नारायण ने दिया था प्रभु”।
 
क्या अनर्गल प्रलाप कर रहे हो इन्द्र। मेरा दिया अस्त्र कभी कोई भेद नहीं सकता। कब दिया यह अस्त्र मैंने तुम्हें?”
 
क्षमा प्रभु क्षमा, मैं आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। मैं आर्यावर्त में बसे हुये नारायण की बात कर रहा हूँ। इनकी संस्था इन्फोसिस ने यह अग्निकवच डिजाइन किया था”।
 
किसी मानव से क्यों ले लिया युद्ध का अस्त्र? यह भला दानवों के विरुद्ध कहाँ टिक पाएगा?”
 
अब नारद मुनि आगे आये, “प्रभु, आज का दानव अति चालाक है। इसके आगे देव अस्त्र निष्प्रभावी हो जाते हैं। इससे आईटी दिग्गज ही टक्कर ले सकते हैं”।
 
कौन है यह दानव? कहाँ है निवास इसका?” 
 
त्रेता युग में दक्षिण दिशा लंका से राक्षस राज रावण ने कहर बरपाया था। द्वापर में आर्यावर्त के केंद्र हस्तिनापुर व मथुरा में दुर्योधन व कंस का तांडव हुआ। यह राक्षस प्रवृत्ति उत्तरोत्तर उत्तर दिशा की ओर ही उन्मुख हो रही। अब कलयुग में उत्तर दिशा में स्थित ‘चाइनीज ड्रैगन’ नामक दैत्य की उत्पत्ति हुई है जिसने समस्त भूमंडल में हाहाकार मचा रखा है”।
 
नारायणमूर्ति कितने कारगर होंगे इस ड्रैगन के विरुद्ध?”
 
नारद मुनि ने बीच में एंट्री मारी, “प्रयास वो बहुत कर रहे प्रभु। उन्होंने अपनी कन्या अक्षता का विवाह आंग्ल-देश के एक ऋषि से किया था। कन्या के प्रबल भाग्य से आज वह ऋषि आंग्ल देश का नरेश बन गया है। कहा तो ये भी जाता है कि उस ऋषि को नरेश बनाने में नारायण ने अपने धन बल का भरपूर प्रयोग किया”।
 
नारायण नाम की महिमा ही अपरंपार है,” इंद्रदेव ने मस्का मारा।
 
विष्णु ने टोका, “किन्तु आंग्ल देश कितना प्रभावी होगा? क्या यह ड्रैगन-दैत्य के विरुद्ध विजय दिला सकता है?”
 
प्रभु आज मृत्युलोक में आंग्ल-भाषा ही सबसे प्रबल हैं। आंग्ल-वंशियों ने इंग्लैंड अमेरिका कनाडा आस्ट्रेलिया जैसे प्रबल राष्ट्रों पे अधिपत्य जमा रखा है। आंग्लदेश इन आंग्ल-वंशियों का उद्गम स्थल है। और इनके ऊपर बैठा  नरेश हमारे आर्यावर्त का आर्यवंशी आर्यपुत्र ऋषि सुनक है। इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से आर्यवंशियों का प्रभुत्व समस्त विश्व पर हो गया”।
 
नारायण संतुष्ट हुये, “हमारे आर्यावर्त का नरेश कौन है, और वो क्या कर रहा है? क्या वो सुषुप्तावस्था में चला गया है?” 
 
नारद जी ने पुनः अपना ज्ञान उड़ेला, “तुलसीदास कालिदास व गौतम बुद्ध की ही तरह अपनी पत्नी को त्याग देने वाला नरेंद्र है प्रभु।“
 
और मेरे अवधपुरी मथुरा वृंदावन गोकुल में कौन अधिपति है?”
 
एक योगी है नारायण। इसने तो विवाह किया ही नहीं। बालकाल से सन्यासी है”।
 
नारायण ने पहलू बदला, ”योगी सन्यासी गुरु लोग समाज के अधिष्ठाता बने हैं। फिर तो आर्यावर्त विश्व गुरु बन गया होगा?”
 
इस दिशा में प्रयास प्रबल वेग से चल रहा है। 21 जून को समस्त विश्व में योग दिवस मनाया जाता है। बाधा है तो बस यह ड्रैगन ही। इसके साथ सीमाओं पे हमारी सेना संघर्षरत है। यह हमारे राजकोष (बैंकिंग सिस्टम) को भी विषाणुअस्त्र से अपंग बनाने की कुचेष्टा करता रहता है।“
 
ठीक है। नरेंद्र और योगी से कहो ड्रैगन दैत्य का अंत शीघ्र करें। कलयुग में हम अवतार नहीं लेते। यदि दैत्य प्रबल हो गया तो पृथ्वी का विनाश हो सकता है। हमारे आराध्य महादेव ताक लगाए बैठे हैं कलयुग के पश्चात प्रलय लाने हेतु। कहीं ड्रैगन दैत्य इस प्रलय का माध्यम न बन जाय। आसुरी शक्तियों का विनाश या नियंत्रण ही कलयुग की अवधि दीर्घ करेगा, और मानव को प्रलय से दूर रखेगा”। 
 
नारद ने अतिरिक्त सूचना दी, “नारायण, आर्यावर्त में भी कुछ लघु राक्षस विचर रहे हैं”।
 
तो क्या मोदी-योगी द्वय इनका उन्मूलन नहीं कर रहे?”
 
कर तो रहे हैं प्रभु, किन्तु दोनों का मार्ग भिन्न है”।
 
वो कैसे?”
 
मोदी इन राक्षसों के प्रति कोमल मार्ग अपनाते हैं। कड़ी कार्यवाई नहीं करते। यदा कदा झुक भी जाते हैं। इंद्रप्रस्थ के शाहीन बाग में दानव-वधुओं ने राजमार्ग 6 मास तक बाधित किये रखा। तदपि मोदी ने कोई कदम नहीं उठाया प्रजा को इस कष्ट से मुक्ति दिलाने हेतु। किसान उपज के दलालों ने तो राजकिले पर अपना ध्वज भी लहरा दिया था। राजधानी को घेर के रखा। राजा ने किसानों की भलाई हेतु अपने द्वारा बनाया कृषि-कानून, जो समस्त सभासदों के द्वारा ध्वनिमत से पारित हुआ था, को तिलांजलि दे किसान-दलालों को उश्रृंखल बना दिया। प्रजा में किसान वैसे भी त्रस्त हैं इंद्रदेव के मौसम की उल्टा पलटी से”।
 
इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मुनिवर। आप मीडिया लोगों को बात का बतंगड़ बनाने की आदत है”, इन्द्र ने विरोध व्यक्त किया।
 
विष्णु ने बीच बचाव किया, “आप लोग आपसी मतभेद छोड़ पहले बताइए यह मीडिया क्या होता है”?
 
मीडिया नारद जी की ही प्रजाति के लोग हैं। आज ये लोग जनता को अपनी मनमर्जी अनुसार सही गलत समाचार दे राष्ट्र का तख्तापलट भी करने की ताकत रखते हैं। जिसने पैसा दिया उसके अनुसार समाचार छापेंगे। उसका गुणगान करेंगे”, इंद्रदेव ने अपनी जानकारी रखी।
 
यह तो बड़ा ही निकृष्ट कार्य है। प्रशासन उनके इस निकृष्ट नैतिक आचरण के लिए दंडित नहीं करता?”
 
नैतिक आचरण की तो बात ही छोड़ दीजिये प्रभु। प्रशासन के लोग जिन्हें जनता चुनती है, अपने लिए जीवन भर पेंशन यानि राजकीय कोष से वेतन प्राप्त करते हैं। यह पेंशन समस्त राजकर्मियों के लिये प्रतिबंधित कर दी गई है, यहाँ तक कि राजसेना के सैनिकों के लिए भी। मात्र 4 वर्षों के लिए अग्निवीर लिए जाते हैं, जिन्हे सेवानिवृत्ति पश्चात कुछ नहीं मिलता। और ये शासन के नेता यदि 3 बार चुनाव जीते तो 3 पेंशन मिलेगी"।
 
शिव शिव। कितना ह्रास हो गया है नैतिक मूल्यों का। अब यह बताइये योगी का शासन कैसा है हमारी अवधपुरी में?”
 
बेहतर है प्रभु। आपके अयोध्या में विशाल राम मंदिर का निर्माण हो रहा। रामलला की मूर्ति निर्माण हेतु सीता माता के नैहर में प्रवाहित काली-गण्डकी सलिला से सालिग्राम प्रस्तर आयातित किये गये हैं”।
 
नारायण की मुखमुद्रा पे संतुष्टि के भाव प्रकट हुये, “राजा तो रामभक्त लगता है। उसका कल्याण हो। उसका शासन कैसा है?”
 
अति कठोर है प्रभु। शाहीन बाग की कुछ दैत्य-कन्याओं ने उनकी राजधानी लखनपुर में हाहाकार मचाना चाहा। योगी ने उन सबको मार मार भगा दिया। कई दशकों से प्रजा का रक्तपिपासु मुख्ताराक्षस पंजप्रदेश के सरक्षण में विलासपूर्ण जीवन जी रहा था। योगी उसे अपने प्रदेश में उठवा लाये। कठोर कारावास में रखा है”, नारद ने सूचित किया।
 
यह कार्यवाई उचित तो है, किन्तु कठोर नहीं है। राक्षसों को कारागार में डाल जीवित नहीं रखना चाहिये। वो न जाने कौन सा मायावी रूप धर निकल भागें। कारागार तो सज्जन पुरुषों के लिए होता है। सर्वदा दैत्यों ने सत्पुरुषों को कारागार में रखा, देवों ने नहीं। कंस ने अपने पिता अग्रसेन को, भगिनी देवकी व बहनोई सखा वासुदेव को कैद में रखा। रावण ने भी समस्त देवताओं व संतों को कैद किया। अग्नि वरुण यम तो उनके यहाँ नित्य उपस्थिति देने जाते थे। मुचलके पे छूटे थे। लेकिन हम ईश्वर लोग अत्याचारी पापी राक्षसों का वध कर देते हैं। उन्हें कारगर में पालते नहीं”।
 
आपके ही मार्ग पे चल रहे हैं योगी। प्रयाग नगरी में अतिकासुर नामक राक्षस कई वर्षों से आतंक मचाये हुये था। संतों को कष्ट देना, उन्हें सरेआम बीच चौराहे पे मरवा देना, प्रजा की संपत्ति पे अपना ध्वज टाँग मनमाने सस्ते दाम पे जबरन कब्जा कर लेना, शत्रु राष्ट्र पाकिस्तान से अस्त्र-शस्त्र ले उसके कहे अनुसार आर्यावर्त में दंगा कराना जैसे घृणित कार्य में लिप्त था। न्यायाधीश भी उसके समक्ष भय से उठ खड़े होते थे। हिम्मत नहीं उसके विरुद्ध सजा सुनाने की”।
 
विष्णु ने बेचैनी से करवट बदला, “किन्तु योगी ने क्या किया? यह मेरा मार्ग नहीं है”।
 
मैं उसी बात पे आ रहा था प्रभु। योगी ने अतिकासुर, उसके भ्राता, उसके पुत्र व अनेक अन्य असुरों को मरवा दिया। सरे आम मीडिया के समक्ष उनका वध हुआ जिससे केजरीबवाल इस वध का प्रमाण न माँग बैठें”।
 
अब यह केजरीबवाल कौन है?”
 
यह उसी धोबी का पुनर्जन्मा है प्रभु जिसके कहने पर आपने माता सीता को अयोध्या से निष्कासित कर दिया था। जो माता सीता से उनकी पवित्रता का प्रमाण माँग रहा था। अग्निपरीक्षा के प्रमाण से संतुष्ट नहीं था।  इस जन्म में यह इंद्रप्रस्थ नरेश है। आर्यावर्त के वीर सैनिक शत्रु देश की सीमा में प्रविष्ट हुये गुप्तचर वेश में।  बहुतेरे पापी दानवों का वध कर, सुरक्षित वापसी की। इसे सर्जिकल स्ट्राइक कहा जाता है। उनकी वापसी पर केजरीबवाल उन सैनिकों से वध का प्रमाण माँग रहा था। सेनापति के कथन से भी संतुष्ट न हुआ।  बहुत घुटा हुआ नेता है। जितना जमीन के ऊपर है उसका नब्बे गुना जमीन के नीचे। ईमानदारी का ढोल पीटता सत्तासीन हुआ। कहता था नित्य मेट्रो रेल से राज दरबार में जाऊंगा। कभी लालबत्ती गाड़ी नहीं लूँगा।  वीआईपी संस्कृति से दूर रहूँगा। अपने साधारण घर में रहूँगा। राजकीय आवास नहीं लूँगा। बच्चों की शपथ ली थी, कभी राजनीति में नहीं जाऊँगा। जो कहा, उसका उलट ही किया। उसके बहुत से दरबारी व सहयोगी मदिरा व सोमरस घोटाले में बंदी हैं। इसके विरुद्ध भी अनेक अपराध दर्ज हैं”, नारद मुनि ने एक साँस में सारा कथन कह डाला।