Aug 2, 2023

घोंसला

 

तपती गर्मी या हो बरसात
काम ही काम करे दिन रात
तिनका चुनकर बुने घोंसला 
बैठ दो घड़ी करे न बात
 
दो युगल पक्षियों का अनोखा साथ
विधाता ने दिया नहीं एक भी हाथ 
चोंच से ही रच दिया एक ऐसा आशियाना
उच्च श्रेणी इंजीनियर भी हो जाये दीवाना
 
भूल गये दर्द गाड़ दिए खुशियों के झंडे
जब मादा गौरैया ने जन दिए चार अंडे
माँ अंडों को सेती रहती फैलाए दोनों डैने
पिता बाहर से चुनकर लाता दाना और चबैने
 
दुनिया सिमट गई जब निकले प्यारे चूजे
उनकी सेवा में ऐसे रमे काम न भाये दूजे
एक जाये जब दाना लाने तो दूजा करे रखवाली
पिता हो विभोर जब बच्चों को खाना दे घरवाली
 
प्यारे बच्चों के कलरव से, गुंजित रहा भरा परिवार
सरपट झटपट निकल गये, तीन हफ्ते यूँ खुशगवार
आओ बाहरी दुनिया दिखा दूँ, अब तुम हुये सयाने
पर फैला के उड़ना ऐसे, माता-पिता लगे बतलाने 
 
दसवें दिन वो चारों चूजे, घर से निकले उड़कर
साँझ ढले न वापस आये, चिंता लगी भयंकर
सारी रात बेचैन पड़े वो, रहे बदलते करवट पलपल
खबर मिली अब ना आयेंगे, चला गया बच्चों का दलबल
 
सूना हुआ घोंसला उनका, रहा नहीं कलरव संगीत
मुँह में गया न एक भी दाना, दुनिया हो गई रीत
चिड़ा चिड़ी ने अवसादों में, छोड़ दिया पूरा घर बार
कैसे रह पाएंगे इसमें, बच्चों की याद करेगी बीमार  
 
निकल पड़े फिर दोनों पक्षी, अपनी अगली यात्रा पे
सुखा दिए सब गम के आँसू, पूरी पूरी मात्रा  में
रम गये फिर से उसी काम में, तिनका तिनका जुटाने में
बिना हाथ के उसी चोंच से, एक नया मकान बनाने में
 
कह डी के कविराय, बुजुर्गों खुश रहने का यही सलीका
छोड़ो उड़ने दो बच्चों को, सीख लो पक्षियों वाला तरीका