घर बनता है घर वालों से
न कि स्वर्णिम दीवालों से
उम्र गुजार दी सारी, ताजमहल बनवाने
में
किन्तु अन्त में शाहजहाँ, मरा कैदखाने
में
बना गया जो विश्व में, अजूबा ताज
महान
क्या बना पाया बेटे को, एक अच्छा
इंसान
लगी होड आज भी केवल, किताबी ज्ञान
पिलाने की
चाह नहीं संस्कारों वाला, नैतिक
पाठ पढ़ाने की
डाक्टर इंजीनियर नेता ब्यूरोक्रेट, सब एक से एक हैं
ज्ञानी
भ्रष्टाचार देशद्रोह सामाजिक पतन में, इनका नहीं है
सानी
आरंभ हो चयन प्रक्रिया में, नैतिक परीक्षा अनिवार्य
पदासीन हो उच्चासन पर, केवल श्रेष्ठ सच्चा आर्य
