सूरदास की ब्राजभाषा ने, मुझको दूध पिलाया है।
तुलसी की अवधी ने भी , स्तनपान कराया है।
पंचमेल खिचड़ी कबीर की, सुंदर स्वाद चखाया है।
बिहारी के मारक दोहों ने, मेरा शृंगार रचाया है।
भारतेंदु की स्वर्ण लेखनी, से यौवन का भान हुआ।
जयशंकर प्रसाद के जादू से, शक्ति का संचार हुआ।
नेताजी के आज़ाद हिंद का, भारत में आगाज़ हुआ।
उस सेना की भाषा बनकर, मेरा बड़ा सम्मान हुआ।
अँग्रेज़ी लिपि में बाधित कर, हिंदी संदेश पठाऊँगा।
अँग्रेज़ कमांडर समझ न पाए, ऐसा उनको उलझाऊँगा।
स्वतंत्र भारत में जनमानस की, महारानी बनवाऊंगा।
संयुक्त राष्ट्र में अँग्रेज़ी से, उपर तुझे बिठाऊँगा।
नेताजी का सपना सच हो, ऐसी सबकी आशा है,
संयुक्त राष्ट्र में गूँज चुकी, आगे भी अभिलाषा है,
जैसा लिखते वैसा पढ़ते, वैज्ञानिक ये भाषा है,
अमीर गरीब सभी लोगों को, सीखने की जिज्ञासा है,
भारत माँ की कंचन काया में, सदा रही माथे की बिंदी।
देश-विदेश में फैलती जाती , इसे लोग कहते हैं हिंदी.
तुलसी की अवधी ने भी , स्तनपान कराया है।
पंचमेल खिचड़ी कबीर की, सुंदर स्वाद चखाया है।
बिहारी के मारक दोहों ने, मेरा शृंगार रचाया है।
भारतेंदु की स्वर्ण लेखनी, से यौवन का भान हुआ।
जयशंकर प्रसाद के जादू से, शक्ति का संचार हुआ।
नेताजी के आज़ाद हिंद का, भारत में आगाज़ हुआ।
उस सेना की भाषा बनकर, मेरा बड़ा सम्मान हुआ।
अँग्रेज़ी लिपि में बाधित कर, हिंदी संदेश पठाऊँगा।
अँग्रेज़ कमांडर समझ न पाए, ऐसा उनको उलझाऊँगा।
स्वतंत्र भारत में जनमानस की, महारानी बनवाऊंगा।
संयुक्त राष्ट्र में अँग्रेज़ी से, उपर तुझे बिठाऊँगा।
नेताजी का सपना सच हो, ऐसी सबकी आशा है,
संयुक्त राष्ट्र में गूँज चुकी, आगे भी अभिलाषा है,
जैसा लिखते वैसा पढ़ते, वैज्ञानिक ये भाषा है,
अमीर गरीब सभी लोगों को, सीखने की जिज्ञासा है,
भारत माँ की कंचन काया में, सदा रही माथे की बिंदी।
देश-विदेश में फैलती जाती , इसे लोग कहते हैं हिंदी.