स्वामी रामदेव के कॅंप में पहुँचा, सुना बड़ा नाम था।
आँखें तेज करनी है भगवान, चश्मे को देना आराम था।
नज़र घुमाना बाएँ से दाएँ, करना बीस बार सुबह और शाम था।
छाणिक विराम के बाद फिर, लगाना भास्त्रिका प्राणायाम था।
अगले ही सप्ताह, फॉरेन प्रॉजेक्ट के लिए प्रस्थान हुआ।
प्रातःकाल दुबई एआर्पोर्ट पर, मेरे प्राणायाम का शुरुआत हुआ।
सिद्धासन मुद्रा में जा, नज़रें दाएँ-बायें घुमाना दस बार हुआ।
तभी यकायक एक अरबी शेख का, जोरदार मुष्टिका प्रहार हुआ।
दाएँ बाएँ इशारे कर, उसकी उंगलियाँ कुछ दिखलाती थी।
दाँयी तरफ टायलेट और बाएँ, उसकी चार बिबीयाँ नज़र आती थी।
मेरी आसन में घूमती आँखें, शायद उसे अर्थ यही समझाती थी।
की मेरी नज़रें दायें-बायें होकर, बिबीयों को टायलेट में बुलवाती थी.
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1 comment:
hasya ras bhi dikhaiee de raha hai
rajiv
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