Feb 28, 2025

बेटी

 

बेटा तभी तक बेटा है माई

जब तक नहीं बहू घर आई

बाबुल के घर से मिली जुदाई

तदपि बेटी कभी न हुई पराई

किया अगर मायके की बुराई

तो वो बन जाती दुर्गा माई

 

मायका तो छूटा, पर न टूटा हौसला

मिट्टी से अलग होकर, बनाया है घोंसला

ससुराल रोशन कर दिया, बनी दिये की तेल  

अपनी जड़ों से टूटकर भी, बढाई है वंशबेल

 

बेटी ही नहीं अब तो है बेटों की विदाई

परदेश में दूर जाकर नौकरी है जमाई

पिता अकेले घर में करे दीवाल से बातें

बेटे मरणोंपरांत भी, देखने नहीं आते

 

घूम गया काल का पहिया, बदल गई सोच वो टेढ़ी

बेटी नहीं बेटों से कमतर, नहीं रही वो पैर की बेड़ी

 

नहीं रही वो अबला नारी, नहीं बाबुल पे बोझ समान

फौज की जांबाज लड़ाकू, राफेल में बैठ उड़े आसमान    

 

बुढ़ापे की लाठी बन, देती माँ को सहारे

चिता में देने आग, पिता पुत्री को निहारे  

पुरखों की वंशबेल अब, बेटियाँ भी बढ़ाती

संपत्ति में समान भाग, सरकार  दिलाती  

 

कह डीके कविराय, सुनो हे गोवर्धन गिरधारी

हर घर आँगन में गूँजे, एक बेटी की किलकारी। 

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